सामाजिक कहानियाँ >> गुलरा के बाबा गुलरा के बाबामार्कण्डेय
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
‘गुलरा के बाबा’ संग्रह की कहानियों का समय आजादी के ठीक बाद का है ! सामाजिक संदर्भो का वास्तविक चित्रण कहानियों का प्रमुख तत्त्व है ! निवां का सुख-दुख ही कहानियों का विषय है ! भारत के नये निर्माताओं के सामने देश की वास्तविक तस्वीर कहानियों में प्रस्तुत की गयी है ! कहानियों में कोमल संवेदनाएँ, लुभावनी भाषा के साथ आक्रोश से भरी तीखी सामाजिक दृष्टि भी है ! गाँव के जीवन का नया धरातल इस संग्रह का प्राण है ! यहाँ जीवन की वास्तविकता के साथ उसमें परिवर्तन की आकांक्षा साथ-साथ है !
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